अयोध्या जीता, पर बटेश्वर क्यों हैं सरकारी उदासीनता का शिकार

अयोध्या जीता, पर बटेश्वर क्यों हैं सरकारी उदासीनता का शिकार, चतुर्वेदी सभा दिल्ली ने कोशिश की समझने की
संजय चतुर्वेदी (होलीपुरा/फरीदाबाद)  

  • श्री माथुर चतुर्वेदी सभा दिल्ली ने ऑनलाइन बैठक के माध्यम से पुरातत्व विभाग के पूर्व रीजनल डायरेक्टर से समझा बटेश्वर के मंदिरों का राज़
  • 80 मंदिरों का हुआ पुनरुत्थान , बाकि 120 का क्या
  • मुहम्मद को पद्मश्री पुरस्कार से किया गया है सम्मानित
  • अन्य कई पुरस्कारों से किया गया है विभूषित

श्री माथुर चतुर्वेदी सभा दिल्ली की ओर से पिछले रविवार एक बहुत ही प्रशंसनीय पहल की गई है l यह पहल ना केवल चतुर्वेदी समाज और हिन्दू समाज के लिए बल्कि सम्पूर्ण सनातन धर्मावलम्बियों को उनकी आध्यात्मिक धरोहरों के प्रति सचेत करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हैl सभा द्वारा पद्मश्री केके मुहम्मद, जो वर्ष २०१२ में भारतीय पुरातत्व विभाग में रीजनल डायरेक्टर (नार्थ) के पद से सेवानिवृत हुए हैं, से एक ऑनलाइन मीटिंग के द्वारा चर्चा आयोजित की गईl  चर्चा का विषय था मध्यप्रदेश के मुरैना के पास चम्बल क्षेत्र में बटेश्वर के 80 मंदिरों को खुदाई करके निकालने, उनका पुनरुत्थान और संरक्षण के विषय मेंl  हम में से शायद ही कोई जानता हो कि भदावर में बटेश्वर के अलावा भी देश में दो स्थानों पर बटेश्वर है और दोनों ही स्थानों पर मंदिरों का समूह स्थित हैl  इनमें से एक बिहार में स्थित है और दूसरा मध्यप्रदेश के मुरैना क्षेत्र में हैl   आक्रान्ताओं के सनातन विरोधी कृत्यों और सरकारों की उपेक्षा से ये मंदिर पूरी तरह से खंडहरों में तब्दील हो चुके हैं l इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया भारतीय पुरातत्व विभाग में रीजनल डायरेक्टर (नार्थ) श्री के के मुहम्मद ने l वर्ष २०१२ में सेवानिवृत हो चुके श्री मुहम्मद को २०१९ में पद्मश्री की पदवी से सम्मानित किया गयाl यह सम्मान उन्हें पुरातत्व विभाग में रहते हुए महत्वपूर्ण स्थलों पर खुदाई और ऐतिहासिक विरासतों के संरक्षण के लिए दिया गयाl  यहाँ यह बताना आवश्यक है कि अयोध्या में राम मंदिर होने के साक्ष्य भी पुरातत्व विभाग की ओर से श्री के के मुहम्मद ने ही अदालत के समक्ष प्रस्तुत किये थेl यही वे साक्ष्य थे जिनके होते अदालत हिन्दुओं के पक्ष में फैसला दे पाईl पिछले रविवार श्री केके मुहम्मद से हुई चर्चा के मुख्य बिन्दुओं को इस लेख में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है l

यह बात है वर्ष २००४ से २००८ के बीच के चार वर्षों की l भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा मध्य प्रदेश में मुरैना के पास चम्बल क्षेत्र में खुदाई की जानी थी क्योंकि ऐसा बताया गया था कि किसी समय में यहाँ बड़ी संख्या में मंदिर हुआ करते थेl

मुरैना के पास बटेश्वर क्षेत्र में, जो चम्बल क्षेत्र का एक भाग है, खुदाई करते हुए मंदिरों के निकलने के विषय में विस्तार से चर्चा करते हुए श्री के के मुहम्मद ने कहा  कि अगर चम्बल क्षेत्र डाकुओं का गढ़ ना होता तो शायद इन मंदिरों के खंडहर भी ना बचे होतेl इसका कारण उन्होंने यह बताया कि अगर डाकुओं का डर ना होता तो छोटे मोटे चोर और माइनिंग माफिया इन सभी पत्थरों आदि को बेच कर खा गया होताl उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनके ही एक साथी की पत्नी जो टूरिस्म विभाग में कार्यरत थीं के माध्यम से उन्हें पता चला कि बिना डाकुओं से सहमती लिए उस क्षेत्र में खुदाई करना असंभव हैl इसके अलावा जो डाकू आत्मसमर्पण कर चुके थे उनसे भी सहायता ली गई ताकि डाकुओं को इस खुदाई का महत्त्व समझाया जा सकेl इस विषय में उनकी मदद की पुलिस इंस्पेक्टर विजय रमन नेl विजय रमन की पहचान उस अफसर के रूप में की जाती है जिससे मुठभेड़ में डाकू मानसिंह मारा गया थाl इसी प्रकार डाकू निर्भय सिंह गुर्जर और मोहर सिंह सिंह से भी सहमती बनाई गई ताकि उस क्षेत्र में खुदाई का काम संभव हो पाएl श्री मुहम्मद ने चर्चा के दौरान प्रेजेंटेशन के ज़रिये उस समय की तस्वीरें भी दिखें जिससे पता चलता है कि किस प्रकार खंडहरों और पेड़ों के नीचे दबे मंदिरों को ढूंढ पाना एक असंभव लगने वाला काम था जिसे मुहमम्द और उनकी टीम ने पूरी कुशलता के साथ अंजाम दियाl उन्होंने बताया कि मंदिरों के प्रति उनका संकल्प डाकुओं की नज़र में इसलिए भी संदेहपूर्ण था क्योंकि वो एक मुसलमान हैं l लेकिन अपने वक्तव्य के दौरान मुहम्मद ने पेड़ों, मंदिरों और हिन्दू देवताओं के प्रति जिस प्रकार की आस्था व्यक्त की वो वाकई एक आदर्श व्यक्तित्व का नमूना हैl हममें से बहुत से लोगों को नहीं पता होगा, जो श्री मुहम्मद ने बताया कि किसी भी पेड़ को काटने से पहले उससे क्षमा याचना की जाती हैl यही नहीं उस पेड़ पर आश्रय पाने वाले पक्षियों और जीव जंतुओं से भी क्षमा प्रार्थना की परिपाटी का पूरी तरह से पालन करते हुए उनके दल ने बटेश्वर क्षेत्र में बखूबी अपनी ज़िम्मेदारी निभाईl उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार समय के साथ मंदिरों के अन्दर से पेड़ निकलकर पूरी तरह अनेक मंदिरों को निगल चुके थे जिन्हें उनकी विभाग द्वारा दोबारा उनके पुरातन रूप में जीवित किया गयाl श्री केके मुहम्मद ने बताया कि उनके कार्यकाल में 80 मंदिरों का पुनरुत्थान हो पाया था और वहां के लोगों का कहना था कि वहां 120 मंदिर और दबे हुए हैंl उन्होंने बताया कि इन 80 मंदिरों में अधिकतर भगवान् शिव के हैं और बाकि विष्णू भगवान के l निकले गए मंदिरों में एक मंदिर हनुमान जी का भी हैl   

उन्होंने बताया कि डाकू मोहर सिंह, जो अब समर्पण कर चुके हैं, ने लगभग आठ महीने पहले प्रधान मंत्री जी को पत्र लिखकर बटेश्वर क्षेत्र में रुके हुए काम को दोबारा शुरू करवाने और बचे हुए मंदिरों को ढूँढने की प्रक्रिया शुरू करने के विषय में प्रार्थना की हैl एक बार डाकुओं का आतंक समाप्त होने के बाद वहां भूमि और माइनिंग माफिया का भी बोलबाला बढ़ गया थाl दिल्ली स्थानांतरित हो जाने के बाद भी श्री मुहम्मद छुट्टियों के दौरान अकसर इस क्षेत्र का दौरा करते रहेl माफिया का बढ़ता प्रभाव देखते हुए और सरकार की निष्क्रियता देखते हुए मुहम्मद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख श्री मोहन भागवत को पत्र लिखकर इस विषय में उनका ध्यान आकर्षित कियाl भागवत ने उनके पत्र पर संघ्यान लेते हुए तत्कालीन राज्य सरकार को आवश्यक्क दिशा निर्देश दिएl इसके बाद पुलिस द्वारा माफिया पर आवश्यक कार्यवाही की गई और उस क्षेत्र को सुरक्षित किया जा सकाl

आज के समय की बात करें तो मुहम्मद ने तत्कालीन केंद्र और राज्य सरकार की उदासीनता के प्रति दुःख व्यक्त कियाl उन्होंने कहा कि जहाँ एक ओर यह सरकार मंदिरों के संरक्षण की बात करती है वहीँ बटेश्वर क्षेत्र में खुदाई के काम को लेकर उदासीन है और जो 120 मंदिर अपने पुनार्रुत्थान की प्रतीक्षा कर रहे हैं उनके लिए कुछ नहीं कर रही l उन्होंने कहा कि चतुर्वेदी समाज के लोग महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं और यह बुद्धिजीवी वर्ग है l उन्होंने चतुर्वेदी समाज का आव्हान किया कि अगर संभव हो तो इस विषय में सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहिएl     

इससे पहले बैठक की शुरुआत श्री ज्ञानेंद्र चतुर्वेदी, इटावा/गाज़ियाबाद ने पद्मश्री श्री के के मुहम्मद के विषय में सभी सभाजनों को अवगत करवाते हुए श्री मुहम्मद का स्वागत करते हुए कियाl लेफ्टिनेंट कर्नल रिटायर्ड विष्णुकांत जी और मेजर जनरल रिटायर्ड नीलेंद्र कुमार ने भी मुख्य वक्ता श्री मुहम्मद का स्वागत करते हुए चतुर्वेदी समुदाय से उनके जुडाव के लिए धन्यवाद दियाl समाज के एक प्रमुख व्यक्तित्व जो श्री मुहम्मद के साथ उनके विभाग में काम कर चुके हैं, डॉ रिषभ चतुर्वेदी ने भी देहरादून से इस बैठक में हिस्सा लिया और मुहम्मद के विषय में अपने विचार रखेl  श्री माथुर चतुर्वेदी महासभा के प्रमुख डॉ प्रदीप चतुर्वेदी और दिल्ली सभा के प्रधान श्री महेश चतुर्वेदी ने भी श्री मुहम्मद का आभार व्यक्त कियाl उन्होंने श्री मुहम्मद के आह्वान पर आश्वासन देते हुए कहा कि इस विषय में आवश्यक कागजात अगर श्री मुहम्मद  दे सकें तो आवश्यक कार्यवाही की दिशा में कुछ करने का प्रयास अवश्य किया जाएगाl   

SANJAY CHATURVEDI