Poem - बेटी - क्यों ऐसा मेरे साथ किया

बेटी - क्यों ऐसा मेरे साथ किया

 

चुप चुप सब मैं सुनती थी
माँ के पेट के भीतर से
दादी हरदम क्यों कहती थी ?
‘बेटा ’ दे अब ‘बेटा ’ दे ।

 

बहन मेरी प्यारी सी
'छोटी बहन दो माँ ' , ये कहती थी
माँ जोर का चांटा जड़ती थी
फिर रो रो कर ये कहती थी
‘मांग तू एक भाई अब
बेटी का जीवन कठिन बहुत । '

 

दादी भी बेटा मांगे , बापू भी बेटा मांगे
माँ भी मेरी हरदम ही भगवन से बेटा मांगे ।

 

फिर भी मैंने सोच लिया ,
सब का मन मैं हर लूंगी
अपनी नटखट बातों से
सबको खुश मैं कर दूंगी ।

 

पर मुझको इतना वक़्त न दिया
मेरे बापू ने ऐसा पाप किया
कर मालूम मैं लड़की थी
मुझको पेट में ही मार दिया ।

 

फूलों की खुशबू ले न सकी
जीवन का स्वाद मैं चख न सकी
माँ को माँ मैं कह न सकी
बहन से अपनी मिल न सकी

 

क्यों ऐसा मेरे साथ किया ?
जीवन का सुंदर ख्वाब दिया
फिर मौत की आग में झोंक दिया

 

बेटी बन मैंने क्या कोई पाप किया ?
क्यों ऐसा मेरे साथ किया ?

Rashi Chaturvedi