विज्ञान और भारतीय दर्शन

Source :- सांख्य दर्शन और गीता पर आधारित 

 

भारतीय दर्शन में मूल तत्व सत, रजस एवं तमस माने गए हैं। जगत में समस्त जड़ एवं चेतन इन्हीं तत्वों से परिणत होकर बने हैं। सत को प्रीतिरूप अर्थात दूसरे को अपनी ओर आकृष्ट करने वाला, रजस को अप्रीतिरूप अर्थात दूर हटने की प्रवृतित, अपकर्शित करने वाला और तमस को विषादरूप अर्थात न प्रीतिरूप और न ही अप्रीतिरूप अर्थात उदासीन माना गया है। आधुनिक विज्ञान एवं भारतीय दर्शन में कितनी समानता है। आधुनिक विज्ञान समस्त विश्व का उपादान कारण प्रोटान, इलैक्ट्रान तथा न्यूट्रान नामक तीन प्रकार के तत्वों को मानता है। प्रोटान स्थिर, धनावेषी अर्थात आकर्षण शक्ति का पुंज है जबकि इसके विपरीत इलैक्ट्रान चर यानी अस्थिर, ऋणावेषी अर्थात अपकर्शण-स्वरूप है। तीसरे तत्व न्यूट्रान में ये दोनों लक्षण नहीं होते और स्थिर व अनावेषी होता है अर्थात उदासीन होता है। अत: प्रोटान सत का, इलैक्ट्रान रजस का एवं न्यूट्रान तमस का प्रतीक हुआ।

जिस प्रकार तीनों तत्वों में उपसिथत विभिन्न संख्या अथवा मात्रा में मिश्रण से पदार्थ बनता है उसी प्रकार इनके न्यूनाधिक गुणों के समिमश्रण से युग का निर्माण होता है।

Naveen chaturvedi