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खेलौंगी ना तोसों होरी स्याम।।
धोखेबाज सदा के मोहन, खात दही ना देत दाम।।
बरजोरी करिकें रंग डारत, कैसें बचै कोई ब्रज की बाम।।
सीखौ कहाँ यह ढंग नंदनन्दन, चाहत सखियन संग आराम।।
‘सल्लर’ स्याम बड़े उतपाती, जान देहु घर होति शाम।।