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चंचल चपल चबाई, श्याम तैंने क्यों मारी पिचकारी।।
उत्तर देहौं कहा ननदी कों, भींजि गई तन सारी।।
आवन दै मेरी संग की सहेलिन, तब देखौं बनबारी।।
भामिनि भेष बनाइ नचाऊ, ‘किंकर’ चतुर खिलारी।।