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ऐसी को खेलै तो सों होरी।।
बारबार पिचकारी मारत, तापर बहियाँ मरोरी।।
नन्दलाल की गाय चरावौ, हमसां करौ बरजोरी।
छाक छीनि खावत ग्वालनि की, करते माखन चोरी।।
चोवा चन्दन और अरगजा, अबीर लिये भरि झोरी।
उड़त गुलाल लाल भये बादर, केसरि भरी कमोरी।।
वृन्दावन की कुंज गलिन में, गावै राधा गोरी।
‘सूरदास’ बलि बलि या छबि की, चिरजीवी यह जोरी।।