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अवध में रघुवर धूम मचाई, होरी खेलत चारौ भाई।
चौदह बरस रहे बनवासी, सिया सहित दोऊ भाई।।
वन ही में हरण भयौ सीता कौ, लै गयौ असुर चुराई।
नल और नील सुग्रीव संग लै, लंका पै करी है चढ़ाई।।
बाँधौ सेतु कटक सब उतरौ, राम ध्वजा फौराई।
लंका जीत राम घर आए, घर घर बजति बधाई।
मातु कौशिल्या करति आरती, शोभा बरनि न जाई।।