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नंद नंदन वृजराज सांवरे सों बाढौ है अधिक सनेह।।
सबरी सखी मिलि चलहु नंद घर मोहन मागे लेहु।।
मोहन मागे ना मिले सजनी जो चाहो सोई लेहु।।
लाहु तराजू तौल लै मोहन घटा है तो दूनौ लेहु।।
चार दिना होरी के सखी री, फेरि आपनौ लेहु।।