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तुम तो बने सौदाई, जगत में हांसी कराई।।
जाव प्यारे तुम हमसे न बोलो, जिय न जलावो सदाई।
सूनी सेज वरू में सो रहूंगी, तुम मत आओ यहाँई।।
समझावत मानत नहिं नेकहु करि अपने मन माई।
रहो खुसी से वहीं जाय के जह मुख अबीर मलाई।।
प्यारे कियो और कों प्यारी इत उत प्रीति लगाई।
अपने मन के भले भए हो झूठी बात बनाई।।
हमहि लजावत मिलत और से जियरा जरावत आई।
माधवी फाग प्रान संग खेलो रहोंगी मैं विष खाई।।