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तोसों कहा कहों कुंज बिहारी रे, मोरी नई रे चुनरिया फारी।।
अबही तौ मैने मोल लई, मेरे बैर परी गिरधारी।
विधुरि गये सब हीरा हार के, सखियां वीनत हारी।।
नरसिंह स्वामी मैं तो कछुना कहति हों, मेरे मुख सों निकसत गारी।
सुनि री जसोदा मैं तोहि सुनाऊं, मेरो तोड़ो हार हजारी।।