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बेटसुर होरी खेलन आये हैं शिव पारवती के संग।
राजा भदावर ने तप कीन्हों, नारी सौ पुरूष बनाये हैं।
पाठक जू नै रंग घुरायौ, शंकर रंगनि सौ हनवाये हैं।
भंग छानि शिव चालन लागे, तब कुंजन वास बनाये हैं।
विश्रान्ति बनाइ दई जमुना तट, पुनि सुन्दर घाट बनाये हैं।
उत्तर बहति जान्हवी त्यागी, जमुना पश्चिम ओर कराई हैं।