Search Your Song

जमुना किनारें ठग लागत हैं, सुन्दर श्याम शरीर।।
बिनु फाँसी बिनु भुजबल मारत, बिनु गाँसी बिनु तीर।।
वाके रूप जाल में फँसिकें, को उबरयौ ऐसौ बीर।।
बैठि रहौ धरि देहु गगरिया, मन में राखौ धीर।।
वीरन पान करन हम छाँड्यौ, कालिन्दी कौ नीर।।
नहिं सुत-धाम गये नहिं चिन्ता, प्रान गये ना वीर।।
‘सूर’ श्याम कुल-कानि गई तौ, धिक धिक जनम शरीर।।