Search Your Song

कीरति के प्रकटी श्री राधा, मोहन के मन भाई।।
नर नारी सब मिलि के आईं, गावत गीत सुहाई।।
”हरिचन्द“ कछु जस बरनन करि, बहुत निछावर पाई।।