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अँखियाँ अब लागीं पछितान।।
श्याम सुँदर जब चले मधुपुरी, तब क्यों दीन्हों जान।।
पथ न चलत संदेस न आवत, धारज लहत न प्रान।
हे ऊधो कहियो माधव सों, आवहु सारँग पान।।