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सखी मोहि फागुन मास सुहावै।।
हरि आवें सब ग्वालिन लावें, प्रेम राग बगरावैं।।
इन्द्र अप्सरा नाचें गावैं, भेद कों आँच लगावें।
सब चलियो ब्रजराज दुलारे, जाय के फाग मचावें।।