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श्याम मुख रंँग की बूँद ढरी।।
मानौ कनक कसौटी ऊपर, कंचन रेख खरी।।
भाल बिलास गुलाल खसनि लखि, उपमा सब बिसरी।
मानहुँ प्रथम किरन दिनकर की, अंबर में पसरी।।
रूचिर केस मानहुँ घन माला, बरसत अनंद करी।
”सूरश्याम“ निरखत यह शोभा, उपमा सब बिसरी।।