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जब से सुनी जा होरी की धूम, जियरा मेरौ वीर डरै।।
राह बाट निबहन न देत सखि, कान्ह उपाधि करै।।
‘राम प्रताप’ लाल तजि को वाके, प्रेम के फंद परै।।