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गाइलै रे गोविन्दा गुना।।
ध्रुवतारे प्रहलाद उबारे, अजामील तारी गणना।।
फागुन मास बड़ौ सुखदाई, मचौ फाग हरि के अंगना।।
ब्रिन्दावन में रास रचौ है, उदै भाग गोपी बरना।।
जो तू चाहै मुक्ति आपनीं, धरौ सीस हरि के चरना।।