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काहे कों प्रीत करी हम सों, बरजोरी बालम मोरे।।
रूनुक झुनुक चली आवती, अपने अपने सौभाग्य सौं।
कर सों कर बहियाँ सों बहियाँ, कररर चुरियाँ चरकीं।।
छैला छोड़ि दै गल बहियाँ, प्यारे रैन रही है थोरी।।