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रघुवीरा बदन दृग देखि कें, छबि थाके हो नैना।।
जे दोऊ कुँवर जनकपुर आए, सखीं कहैं सुन बैना।।
लता ओट जानकी निहारैं, दै अंचल पट सैना।।