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यमुना तट श्याम खेलत होरी।।
दौरि दौरि पिचकारी चलावत, रंग अबीर भरें झोरी।।
बाजत ताल मृदंग झांझ ढ़फ, बरसत रंग उड़त रोरी।।
मोर मुकट मकराकृत कुण्डल, सोहत है सुन्दर जोरी।।
हिल मिल फाग परस्पर खेलत, फेंकत है भरि भरि झोरी।।
”सूरदास“ प्रभु रसिक सिरोमणि, चितवन श्याम बसी मोरी।।