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गोरी कौन रसिक संग रात बसी।।
भरी खुमारी नैन खुलत नहिं, सिर सों सारी जात खसी।।
बैनी सिथिल खसित तेरे भाल तें, चलत डगमगी अधिक लसी।।
पिय संग निसि जागी, चोली ढीली भई कसी।।