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ब्रज की तोहि लाज मुकट वारे, ब्रज की तोहि।।
चन्द्र-सूरज तेरो ध्यान धरत हैं, धरत ध्यान नवलख तारे।।
इन्दर कोप कियो जब ब्रज पै, तब गिरवर नख पै धारे।।
”पुरूषोत्तम“ प्रभु की छवि निरखत, गाइ गोप के रखवारे।।