Search Your Song

बाबा मोहन सों करि प्रीति, हमारे मान गये मारे।।
गुन गाये दघि दूध लुटाये, आसा पर वारे।
कौन सी चूक परी मेरे मोहन,ध्यान कछू धारे।।
अरज करी उन पाँयन परि परि, लिखित पत्र डारे।
बहुत करी तब उधौ भेजे, घाउ नौन डारे।।
सबरी आसा भई निरासा, विलपत दिन सारे।
मन हमरे ऐसी आवति है, हौमें प्रान सकारे।।
गोपिन की सुनि आरत बानी, जसुदा उच्चारे।
ऐसें कबलों बखत गुजारौं, धावौं मथुरा द्वारे।।