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बंगला छबाय देउँ पाननि कौ।।
आक धतुरे के बाग लगाये,
लक्ष लुटाय कियौ घर चौरा।।
सेरूक भांग बिखेरि दई है,
झींकत जात बटोरत ए गौरा।।
हों हंसि कें एक बात कही है,
डौरू कों डारि कितै गयौ ए भोला।।