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घुँघरू घुँघरू मति कहौ री वारी, घुँघरू जहानाबाद।
पहरनवारी बारी आगरें री, बाकौ छैल फिरोजाबाद।।
गाड़ीवान के छोहरा रे वारी, बायों बैलि मरोरि।
गोरी की नाजुक देह है रे, वाकी कमर लचक बल दे।।
सिकली गर के छोहरा रे वारी, लाख रूपैया लेउ।।
गोरी चली घर आपने वारी, नैंन सिकिल कर देउ।
ए सुनरा के छोहरा रे बारी, जो माँगै सो देउ।।
गोरीकों गढ़ि दै हारवा रे बाकौ, छैल बलैयाँ लेइ।।