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सैया मेरे बाँधों लाल गिलोलि, सुअना बालि लै लै जाय।।
चन्द्र पुरूष हम खेती कीन्ही वारी, सूरज पुरुष खरिहान।
दोऊ जुबना के बैल बनाओं, सैंया को करौंगी किसान।।
नीम के नीचें चांतरा री वारी, ता पै बैठौ सुअना।
जो जा सुअनें मारिहैं रे, ता पै मरौगी जहर बिस खाय।।
हरे पंख कौ हरियला रे, सौ सौ फेरी देइ।
सुअना बैठौ डार पै रे, कली कली रस लेइ।।