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अब जल कैसें जइयै, मचि रही मग धूम।।
छिरकत रंग नंद कौ ढोठा, धाय लेत मुख चूम।।
गोपी हू नाचैं बाके ग्वालहू नाचैं, होरी की है रही धूम।।