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चलौ सखी आजु खेलें होरी कन्हैया घर।।
अपने री अपने भवन सें निकसीं, कोऊ साँवरि कोऊ गोरी।
एक तें एक जोबन मदमातीं, सब ही उमरि की थोरी।।
चोया चंदन अतर अरगजा, कोऊ गुलाल भरि झोरी।
चपल ढीठ चपला सी चमकें, झमकति बदन मरोरी।।