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कोऊ कछू कहौ मन लागा रे।।
प्रीति करै तो ऐसी रे मोहन, सौने बीच सुहागा रे।।
मनुआ कहत फकीरी लादौ, तन गुदरी मन धागा रे।।
सोय गये पिय जागत नाहीं, भोर भये उठि भागा रे।।