Search Your Song

देत लिलार बिरह रस बैंदी गोरी।।
भिण्ड सौ सहर तखत राजा कौ,
बसत सराउँगी जामै और बिलवार।।
अम्ब की पाड़ि, बाग निबुलन कौ,
टपकत निम्बू, जामे चुअत अनार।।
ताल की पाड़ि, फकीर कौ तकिया,
घोंटत भंगिया, पियें बिलवार।।
तुम चिर जीवौ, राजा ”बखतसिंह“
तुम्हरे राज, गोरी खेलत फाग।।