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लोभी वृजराज अजहुँ नहि आए।।
तीन कोस पर ऐसे विलमे, करत न्याय सब सुधि बिसराए।।
मात जसोदा व्याकुल डोलै, काहू सौति ने लये भरमाए।।
राधा प्यारी सोच करति है, वा कुबिजा सौं नेह लगाए।।