Search Your Song

दधि बेचन हम कैसे जाइँ, वह फैंकै दही और फोरै मथन।।
जे ऊधम कहौ कैसे सहैं हम, सब पर करि रहे टेढ़े नयन।।
अब माता हमरी विनय सुनौ, कछु धारौ धीर नहिं छोड़ौ घरन।।
इन्है लाल न समझौ मेरी बहिन, इनके नाम को जपि रहे सुर मुनिजन।।
सुनि जसुदा के गम्भीर वचन, सब चकित भईं परी हरि चरनन।।