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साँवरे मन नहीं धीर धरै।।
बहुत दिननि सां भैंट भई ना, तासां कल न परै।।
मन मसकों तौ छाती भभकै, चिन्ता ज्वाल जरै।
कौन घड़ी वा छवि कौ निरखौं, जासे काम सरै।।
तुम बड़ भागी हम हैं अभागी, दूसर मन न भरै।
अब तौ तनिक निहार मनोहर, जासौ विपति टरै।।