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बृज में है रही होरी श्याम राधिका सै खेले होरी।
अबीर गुलाल के थार भरे हैं केसरि रंग सों गगरी।।
अबकी चोट बचाउ साँवरे सब बृज भीजि रहौरी।
ए अब रँग बरसत सरसत सुख अद्भुत छवि सोभा इकठौरी।