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दंपति रास रच्यौ या ब्रज में, चलहु जाय देखन हो होरी।
इत श्री मदनगोपाल लाल, उत यूथ यूथ मिलि राधा गोरी।।
केसरि बहुत मँगाय अबीर उड़ाय, और लीन्हों भरि झोरी।
ललिता मिठ चलाय दुहुन बिच,दीठि बचाय गाँठि गहि जोरी।।
अँचल खस्यौ है जानि सकुचीं दम्पति, हँसि हँसि कर भौंह मरोरी।
चतुर सखी मिलि हँसी है हाथ दै, पाई है आजु दुहुन की चोरी।।
फगुआ देहु मँगाय ”मैन“ प्रभु,फेंट पकरि यों कहत किशोरी।
खेलि फाग हिलि मिलि रस बस करि,आये हैं जीति नंद की पौरी।।