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मैं क्या करों री, कैसे रहति कुल कानि या ब्रज में माई।।
एक जोबन मद छक्यौ ही रहत, दूजें निडर करन कों हो होरी आई।
नयौ जोबन सुन्दर नारिन मिलि, पकरि करत मन भाई।
‘गुलबा’ के प्रभु माधौ मन मोहन, रँग की धूम मचाई।।