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मारू जी मतवारौ ढोलना,
एक कंत सँग रँग लियें डोलै, जोबन की, ए मदछकी जोबन की।
अरज करों मुख माँड़ि सबन कौ, है कोऊ सारँग जादूगर कौ।।
रँग बरसै जैसें मेहरा, बरसन लागी अबीर-गुलाल की बादरी।
सुरजन तुम घर नवल फाग है, दुरजन के घर होरी है सूनी।।