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होरी खेलत श्याम सों हारी।।
फोड़ दई मोरी सिरकी गगरिया, भीजगई मोरी सारी।
अबीर गुलाल मले मेरे मुख पर, रंग की भर पिचकारी,
अचानक मुख पर मारी।।
लपटि-झपटि मोरी बहियाँ गहत है, हँस हँस देत है गारी।
लै गुलाल गालन पर मारत, फारत चीर बिहारी,
कहों का लाज की मारी।।