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छाप तिलक सब छीनी, मोसों नैना मिलाय के।।
प्रेम भटी की मदिरा पिला के, मोहि मतवाली कीनी।।
बलि बलि जैहों मैं तोरे रंगरेजवा, अपनी सां रंग दीनी।।
गोरी गोरी बहियाँ हरी हरी चुरियाँ, बांह पकड़ गहि लीनी।।
”खुसरो निजाम“ के बलि बलि जइये, मोहि सुहागिन कीनी।।