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दरशन करूँ भर नैन सखीरी।।
ललित त्रिभंग अंग द्युति अद्भुत, करों निछावर मैन सखीरी।।
घन सम तनु पट तड़ित छटा जनु, अधर बेणु द्रग सैन सखीरी,
मुकुट माल कुंडल की झलकन, हसन लसन मृदु बैन सखीरी।।
नन्द यशोमति दोऊ बड़भागी, सुत जायो छवि ऐन सखी री,
”हरिविलास“ घनश्याम मनोहर, नहिं भूलत दिन रैन सखी री।।