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सखी आज सोवत भेंट भई।।
चरण परसि औ दरस रूप छकि, पूँछत बात नई।।
अति हितकर हरि की बतियाँ लगीं, नींद निगोड़ी गई।।
सपने की मिलन रूप वह सुन्दर, हिये बिच आनि ठई।।