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ऐसे कहाँ मेरे भाग, पिया संग खेलों होरी।।
काऊ सौतिन संग खेलत हुइहैं, पिया रंग भरि-भरि झोरी।
अपनी बिथा का सौं कहौं सजनी, भाग भलौ उनको री,
पिया संग खेलैं जो होरी।।
जबसे पिया परदेस गमन कियौ, सुधि हूँ न लीन्हीं मोरी।
मैं बैठी यह सगुन विचारों, कब आवै बारी मोरी,
पिया संग खेलौ मैं होरी।।