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रंग डारत कजरा ढ़रकि गयो।।
ताती छतियाँ घात आपनी, हाथ अचानक परिगयो।।
हों निकसी घर बाहर अपने, रसिया पालें पड़गयो।।
कहा कहों बलिहार चबाई, घर को काज बिसरि गयो।।