Search Your Song

आज श्याम सैं मैं बैर करूँगी।।
कोई काली वस्तु जगत की,कबहूँ नाहीं विलकूँगी।
काली घटा की छटा कौं अटा पै, कबहूँ ना निरखूँगी।
भ्रमर के पर नौचूँगी।।
कोयल कूक, कूक मुरवनकी, श्रवनन नाहि करूँगी,
गगन दृगन सौं ओट करूँगी, चन्द्र कलंक हरूँगी,
रात में पग ना धरूँगी।।
दाँतन मिस्सी कवहूँ न लगइहौं, अँखियन कजरा न दूँगी।
कालिन्दी में पग नहि बोरूँ, मृग मद अंग ना मलूँगी,
नील पट धोय धरूँगी।।
काल देव काली माता का, पूजन अब न करूँगी।
सि( के हेतु विरह में सजनी, काग शगुन ना लूँगी,
केश निज नौंच धरूँगी।।
दीपक बारि बैठ अंगना में, रैन को तिमिर हरूँगी
दरपन माँहि देखि अँखियन कौं, पुतरी काढ़ि धरूँगी,
जनम भर अंधरी रहूँगी।।