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गिरधर लाल रंगीले के सँग, फाग आज हौं खेलोंगी।।
सास ननद अरू गुरूजन के भय, लाजहिं पाँयन ठेलोंगी।।
चोवा चँदन अबीर अरगजा, पिचकारिन रँग झेलोंगी।।
”हरीचन्द“ बृजचन्द पिया के, कंठ भुजा गहि मेलोंगी।।