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मोहि देत दरस नहिं एक बार, मेरौ मन नहिं मानत करत रार।।
औरन के सँग रंग उड़ावत, फाग खेलत हौ बार बार।।
हम तौ जरति बरति होरी सी, बिरहा की लागी मार मार।।
कोऊ गुलाल मलत गालन पै, कोऊ चलत गलबाहीं डार।।
हम पै सब रँग रूप बसत है, पिचकारिन की मार मार।।
मोहि सौं पिया कोऊ आनि मिलावै, तन-मन-धन सब डारूँ वार।।