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बरजोरी करि भिंजवत मोरी सारी, गारी मैं देउगी अनौखे खिलैया।।
सासु ननद के डर न परत पग, अब घर कैसे मैं जाँउरी दैया।।
ऐसे ढंग करत डरत नहिं नेकहु, ब्रज में घर-घर लोग चबैया।।
‘रामप्रताप’ फाग के मिस तोरी, जानि गयी सिगरी चतुरैया।।