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घोल री मो पै रंग की घोला घोल, सासु सुनै देयगी बोल री।।
तास की अँगिया गुलाब की चुनरी, और धनुष की कोर।
रेशम बंद लगे अति सुंदर,ता बिच परी है झोल री।।
जानि गई सब संग की सयानी, मिलना किस विधि होय।
‘समद’ पिया सों यों जाय कहियो, कौन करै याकौ मोल री।।