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तन में अस रंग रचौ री।।
पिचकारी रूचिकारी सुमति की, श्याम के रंग में भरौ री।
हिल मिल ऐसौ फाग मचावौ, चहुँदिशि कींच करौ री,
श्याम पिचकारी मारी।।
वायु बिचार वहन रुचिकारी, मर्म अबीर उड़ौ री।
युक्ति साजि करि सखि सब आवति, समता भाल पुरौ री,
झलक छावै चहुँ ओरी।।